Friday, April 15, 2011
मुद्दा हो तो कैसा हो?
Posted by
Ankit Mathur
2:50 PM
चारों ओर बहस हो रही है सबसे ज़्यादा बहस बुद्धिजीवी कर रहे हैं। सारे के सारे बड़ा जोर देकर कह रहे हैं - ``किसी पार्टी के पास कोई मुद्दा नहीं है।'' हमारे देश के बहुत-से बुद्धिजीवियों की एक ख़ासियत है। उनकी `सहज बुद्धि' ज़्यादा तेज़ होती है। वे यह मानकर चलते हैं कि जिनको वे असली मानते हैं, राजनीति भी उन्हीं मुद्दों को असली माने। अगर, बुद्धिजीवियों के मुद्दे ही राजनीति के मुद्दे होते, तो बुद्धिजीवी देश के नेता न होते! अगर, बुद्धिजीवी अपनी `बहस बुद्धि' के बजाय `सहज बुद्धि' का इस्तेमाल करें, तो वे देख सकते हैं कि सभी पार्टियों के पास मुद्दे हैं, अनेक मुद्दे हैं। पर सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि जो असली मुद्दे हैं, उनसे बचा कैसे जाये? क्लिक करें फ़ीचर्ड दैनिक जागरण जंक्शन रीडर ब्लाग पोस्ट
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Said
Ankit ji aapke aalekh ka jikr maine ''yeblogachchhalaga.blogspot.com''par kiya hai .aap aaye aur apne vicharon se avgat karayen .