Monday, September 29, 2014

Diminishing US Supremacy!

At some point in time we all get so influenced by the US supremacy across the universe that we tend to forget that the muscle power US has build over the period of time is largely by hiding gross crimes, genocides, crimes against humanity, adding fuel to the mad weapon race, increasing their footprint by hooliganism. Be it Iraq, Pakistan, Afghanistan, African nations (the list goes on and on). People should mind that the reigning power of the dollar is going to diminish very soon and US is almost on the brink of a disaster (mother of all disasters) that no one could even imagine. The Saudi rejection of the USD in exclusive oil payments is going to be one news which eventually would rock the entire world. China & Saudi Arab is gelling very well. China & Russia have a strategy which will continue reducing the probabilities of a full scale nuclear war. Russia wants to decrease the influence which USA has over Europe which of course is a time consuming exercise, and one should not undervalue the horrific instability that China wishes within the Asian region by making them economically stronger than USA.
The countdown of USA started as early as the great depression but in 1950 there was a huge surge in the number of Malls being opened across USA, the numbers started dwindling rapidly in 2009 & right now there are so many struggling properties which are shuttered down completely or partially.
There are a few interesting links which I am mentioning below, I am sure this would be informative to most, since the so called (corrupt) new age media doesn't have the  guts to highlight the truth.

MH 370 Goes Missing #MH370
Will Russia & China Hold their War?
Washington's War against Russia


Happy Reading....
Ankit Mathur...

Tuesday, October 22, 2013

मृत्युगामी संवेदनायें...



अंकित माथुर: समानांतर सी एक दुविधा है, सुविधा शून्य। कुहासा निरंतर है, क्षितिज शून्य, इस दुविधा पूर्ण वातावरण में ग्लानि के घने जंगलों से होती हुई उसकी संवेदनायें शायद मृत्युगामी होने से पूर्ण अस्तांचल के ताप से उद्वेलित हो कर भयंकर तरीके से छटपटा उठी हैं और नृत्य कर रही हैं।
इस छटपटाहट के कुहासे ने उसके अंत:करण के प्रदूषण को उसकी पराकाष्ठा से मिला दिया है। मुख से निकले शब्दों में मानो भगवान शंकर के गले में समाया हलाहल बाहर आ जाता हो। इस कडुवाहट से तो कुनैन की गोली मीठी। नयनाभिराम सी स्वप्न शृंखला को झंझना देने की अपनी चेष्टा मे तो वो सफ़ल ना हो पाई, परंतु विचारों की सलिल सरिता के बहाव में एक कंकरी फ़ेंक दी, उसके कंपन की ध्वनि ने निद्रा भंग की। सर्द गुलाबी सुबह को बंद आखों से अंगड़ाई लेते हुये वो उठा तो उसने पाया कि जल में एक प्रति ध्वनि गूंज रही है। और नदी का जल काला पड़ने लगा है एक अजीब सी दुर्गंध उसके नख तक पहुंच रही है, उसे इस दुर्गंध की खासी पहचान है, उसने उस ओर ध्यान ना देते हुये ध्यान लगाया और अपने नित्य कर्मों आदि में व्यस्त हो गया, दुर्गंध तीक्ष्ण होनी शुरु हुई वो और अधिक परिश्रम से अपने कार्यों में लग गया.....
संवेदनायें छटपटाहट का नृत्य करते हुये मृत्युगामी हो चली हैं.......

Monday, April 22, 2013

5 वर्ष की बालिका उफ़्फ़्फ़! कलम टूट गई।


यत्र नार्यंतु पूज्यते रमंते तत्र देवता।
इस श्लोक के बारे में आपका क्या विचार है? मेरे खयाल से तो शायद ये इस श्लोक का भावार्थ है, कि जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवताओं का वास होता है, शायद आपने भी यही सुना पढ़ा होगा? अब जो सवाल उठता है वो ये है कि देवताओं के वास का निहितार्थ क्या है? क्या देवताओं के वास का किसी व्यक्ति विशेष को लाभ होता है, हानि होती है या कुछ भी नही होता? यदि आप लाभ की बात करेंगे तो मेरा तर्क (कु) ये होगा कि यदि मात्र नारी शक्ति की पूजा से देवता आपके सानिध्य को प्राप्त कर रहे हैं, या आपको उनका सानिध्य प्राप्त हो रहा है तो फ़िर सत्यनारायण, सुंदर काण्ड, राम कथा, दुर्गा पूजा, शिव पुराण, महामृत्युंजय, गीता पाठ और भी ना जाने कितनी आदि अनादि प्रकार की आराधनाओं मे जो समय या शक्ति (मुद्रा भी) लग रही है वो व्यर्थ तो नही है?
यदि आप ये कहते हैं इन पूजा आदि आडंबरों में अपनी भरपूर शक्ति झोंकने के बाद भी देवता तो नही आ रहे हैं, फ़िर भी हम नारी के स्वरूप और मनुष्य जीवन में उसके महत्व को बल देते हुये उसका आदर करना चाह रहे हैं तो अच्छा लगेगा।
खैर, भूमिका बांधने में काफ़ी वक्त लगा दिया अब बात मुद्दे की।
राम नवमी, हिंदुओं के लिये निर्मित एक ऐसा दिन जब पूरे साल की श्रद्धा, विश्वास, भक्ति और आराधना अपने चरमोत्कर्ष पर होती है, एक ऐसा समय जब कि श्रद्धा और विश्वास सिर्फ़ नारी शक्ति के पास ही नही अपितु अधिसंख्य विवाहित पुरुषों में भी प्रचुर मात्रा में होता है, परेशानी ये ही होती है कि उन अधिसंख्य पुरुषों का आडंबरों में ना चाहते हुये भी पड़ना अत्यधिक दुष्कर कृत्य होता है। वो बस नारी शक्ति को सम्मान देते हुये सुबह सवेरे नहा धो कर कन्याओं को जिमाने की प्रक्रिया में यथा संभव योगदान देने में लग जाते हैं। अब उन पैशाचिक पृवृत्तियों मे संलिप्त असुरों का क्या किया जाये जो कि कथा कहानियों के माध्यम से हमारे मानुष को कलंकित करने के प्रयास करते भी हैं और अपने कुप्रयासों में सफ़लता रूपी मां उन्हें अपनी गोद में उन्हे सुलाती भी है। ऐसा ही एक परम-आसुरी कृत्य भारत वर्ष की राजधानी कहे जाने वाले राज्य (दिल्ली) में सामने आया है, जहां नारी शक्ति का ही सार्वभौम राज्य है। वो चाहे सोनिया माइनो हो या शीला हो, कृत्य ऐसा है जो कि घोर निंदा की पात्रता तो रखता ही है, अपितु मृत्यु की खोज में भी लगा है। मेरा व्यक्तिगत मत है, कि मृत्यु रूपी स्वतंत्रता उस मनोज नामी पिशाच को सुलभ नही होनी चाहिये, जिसने ऐसा परम पैशाचिक कृत्य किया हो। एक ऐसा व्यक्ति जिसके कृत्यों के सम्मुख संकीर्णता भी शायद नतमस्तक है। कुल मिला कर इस व्यक्ति को या इस विकृत सोच को एक ऐसी मृत्यु की ओर ले जाना चाहिये जहां समष्टिगत रूप से, इस विकीर्ण और नितांत असंतुलित सोच को किसी भी प्रकार का पोषण ना मिल पाये।
5 वर्ष की बालिका उफ़्फ़्फ़!
कलम टूट गई। 307 Till Death!
अंकित माथुर...


Sunday, March 10, 2013

जय महाकाल! जय काशी विश्वनाथ!

मुक्ति प्रदानाय च सज्जनानाम्‌ 
अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं 
वन्दे महाकाल महासुरेशम॥ 

'अर्थात जिन्होंने अवन्तिका नगरी (उज्जैन) में संतजनों को मोक्ष प्रदान करने के लिए अवतार धारण किया है, अकाल मृत्यु से बचने हेतु मैं उन 'महाकाल' नाम से सुप्रतिष्ठित भगवान आशुतोष शंकर की आराधना, अर्चना, उपासना, वंदना करता हूँ। 

इस दिव्य पवित्र मंत्र से निःसृत अर्थध्वनि भगवान शिव के सहस्र रूपों में सर्वाधिक तेजस्वी, जागृत एवं ज्योतिर्मय स्वरूप सुपूजित श्री महाकालेश्वर की असीम, अपार महत्ता को दर्शाती है। 

शिव पुराण की 'कोटि-रुद्र संहिता' के सोलहवें अध्याय में तृतीय ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के संबंध में सूतजी द्वारा जिस कथा को वर्णित किया गया है, उसके अनुसार अवंती नगरी में एक वेद कर्मरत ब्राह्मण हुआ करता था। वह ब्राह्मण पार्थिव शिवलिंग निर्मित कर उनका प्रतिदिन पूजन किया करता था। उन दिनों रत्नमाल पर्वत पर दूषण नामक राक्षस ने ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त कर समस्त तीर्थस्थलों पर धार्मिक कर्मों को बाधित करना आरंभ कर दिया। 

वह अवंती नगरी में भी आया और सभी ब्राह्मणों को धर्म-कर्म छोड़ देने के लिए कहा किन्तु किसी ने उसकी आज्ञा नहीं मानी। फलस्वरूप उसने अपनी दुष्ट सेना सहित पावन ब्रह्मतेजोमयी अवंतिका में उत्पात मचाना प्रारंभ कर दिया। जन-साधारण त्राहि-त्राहि करने लगे और उन्होंने अपने आराध्य भगवान शंकर की शरण में जाकर प्रार्थना, स्तुति शुरू कर दी। तब जहाँ वह सात्विक ब्राह्मण पार्थिव शिव की अर्चना किया करता था, उस स्थान पर एक विशाल गड्ढा हो गया और भगवान शिव अपने विराट स्वरूप में उसमें से प्रकट हुए। 

विकट रूप धारी भगवान शंकर ने भक्तजनों को आश्वस्त किया और गगनभेदी हुंकार भरी, 'मैं दुष्टों का संहारक महाकाल हूँ...' और ऐसा कहकर उन्होंने दूषण व उसकी हिंसक सेना को भस्म कर दिया। तत्पश्चात उन्होंने अपने श्रद्धालुओं से वरदान माँगने को कहा। अवंतिकावासियों ने प्रार्थना की- 

'महाकाल, महादेव! दुष्ट दंड कर प्रभो 
मुक्ति प्रयच्छ नः शम्भो संसाराम्बुधितः शिव॥ 
अत्रैव्‌ लोक रक्षार्थं स्थातव्यं हि त्वया शिव 
स्वदर्श कान्‌ नराशम्भो तारय त्वं सदा प्रभो॥ 

अर्थात हे महाकाल, महादेव, दुष्टों को दंडित करने वाले प्रभु! आप हमें संसार रूपी सागर से मुक्ति प्रदान कीजिए, जनकल्याण एवं जनरक्षा हेतु इसी स्थान पर निवास कीजिए एवं अपने (इस स्वयं स्थापित स्वरूप के) दर्शन करने वाले मनुष्यों को अक्षय पुण्य प्रदान कर उनका उद्धार कीजिए।

इस प्रार्थना से अभिभूत होकर भगवान महाकाल स्थिर रूप से वहीं विराजित हो गए और समूची अवंतिका नगरी शिवमय हो गई।

Tuesday, February 26, 2013

इक जला हुआ पन्ना!


अंकित माथुर...

रचनाकार, जी हां रचनाकार कितनी ही बार इक पन्ने पर उकेरी गई इबारतों, अभिव्यक्ति को, अपूर्ण, बेवजह, बेज़ा, बेहिस, समझ के तोड़ मरोड़ के फ़ेंक दिया करते हैं। और तुमने, तुमने तो यकीनन जला ही दिया होगा उस पन्ने को! होगा क्या जला ही दिया है शायद। ऐसा भी क्या हो गया कि उस पन्ने के राख के ढ़ेर में बदलने के बाद, ये एहसास हो रहा है तुम्हे, कि उसी पन्ने पर ही तो जीवन का सच था, सच तो छोड़ो जीवन था, कि काश इस पन्ने पे लिखे हर्फ़ों को समझ पाती मैं????
अब ऐसा भी क्या खो गया इस पन्ने पर जिसे जलाने के बाद भी तुम ढूंढ रही हो, उस पन्ने को, जिस पर जीवन’ लिखा था........ओफ़्फ़ो भूल गया मैं, पन्ने को जलाने की तो, अरे नही, जीवन को जलाने की तो पुरानी आदत थी तुम्हें। लेकिन ये जीवन अब जल चुका है। राख के सिवा क्या कुछ मिल पायेगा?
क्या उस राख को माथे का सिंदूर बना पाओगे? हा हा हा हा हा!
इस अट्टाहास में भी कोई मर्म है, हां उस जले हुये पन्ने का मर्म है? क्या उस जला दिये गये पन्ने का मर्म समझ पाओगे? शायद नही......................................

गुस्ताखी माफ़.
आपका अपना, (मौलिक)
अंकित माथुर 

Wednesday, February 13, 2013

भारत की सियासत का घोटालों में वर्चस्व!!


वाह भई वाह, एक और घोटाला। कफ़न, कोयला, खेल, पनडुब्बी, चारे के बाद अब हवाई घोटाला!
लूटने में लगी है ये घटिया सियासत, और हिंदू - मुस्लिम के मुद्दे,उंची जाति, निचली जाति पर बिकने के लिये मजबूर है इस मुल्क की भोली भाली आवाम।

और अब इन घोटालों में सियासत ने आसमान को भी नही छोड़ा है,
ताज़ा तरीन मामले में अति विशिष्ट हेली काप्टर की खरीद के मामले में धांधले बाज़ी पकड़ में आई है।
जानकारी के अनुसार, सीधे आरोप पूर्व वायु सेना प्रमुख एसपी त्यागी पर लगाये गये हैं, उन पर आरोप है
कि उन्होनें हेलीकाप्टर बनाने वाली कंपनी को फ़ायदा पहुंचाने के लिये टेण्डर में फ़ेर बदल करे हैं। और इसकी एवज में उन्हे और उनके कुछ संबंधियों को रिश्वत दी गई है।
जहां पहले इस हेलीकाप्टर के उड़ान सीमा १८,००० फ़ुट निर्धारित की गई थी, बाद में इसे बदल कर १५,००० फ़ुट कर दिया गया।
जानकारों की माने तो इस हेलीकाप्टर में ६ फ़ुट लंबे एसपीजी के जवान बंदूक ले कर खड़े नही हो सकते थे।
वहीं एसपी त्यागी की माने तो ये सारे फ़ेरबदल सन २००३ में किये गये थे, जबकि वो वायु सेनाध्यक्ष नही थे।
उन्होने ये भी कहा, कि एयर हेडक्वार्टर को फ़ेरबदल करने का कोई अधिकार ही नही है, ये सारे बदलाव यदि किये भी जाते हैं,
तो ये रक्षा मंत्रालय के माध्यम से होते हैं।
बहरहाल, अभी तो ये मामला गर्म है, मीडिया की मंडी में काफ़ी उंचे भाव पर बिक रहा है, लेकिन देखना ये है कि ये मामला
कितने दिनों के बाद कफ़न मामले की तरह दफ़न होगा।


आजादी से अब तक देश में काफी बड़े घोटालों का इतिहास रहा है। प्रस्तुत है भारत में हुए बड़े घोटालों का संक्षिप्त विवरण-
जीप खरीदी (१९४८)
आजादी के बाद भारत सरकार ने एक लंदन की कंपनी से २००० जीपों को सौदा किया। सौदा ८० लाख रुपये का था। लेकिन केवल १५५ जीप ही मिल पाई। घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वी.के. कृष्ण मेनन का हाथ होने की बात सामने आई। लेकिन १९५५ में केस बंद कर दिया गया। जल्द ही मेनन नेहरु केबिनेट में शामिल हो गए।
साइकिल आयात (१९५१)
तत्कालीन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सेकरेटरी एस.ए. वेंकटरमन ने एक कंपनी को साइकिल आयात कोटा दिए जाने के बदले में रिश्वत ली। इसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।
मुंध्रा मैस (१९५८)
हरिदास मुंध्रा द्वारा स्थापित छह कंपनियों में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के १.२ करोड़ रुपये से संबंधित मामला उजागर हुआ। इसमें तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी, वित्त सचिव एच.एम.पटेल, एलआईसी चेयरमैन एल एस वैद्ययानाथन का नाम आया। कृष्णामचारी को इस्तीफा देना पड़ा और मुंध्रा को जेल जाना पड़ा।
तेजा ऋण
१९६० में एक बिजनेसमैन धर्म तेजा ने एक शिपिंग कंपनी शुरू करने केलिए सरकार से २२ करोड़ रुपये का लोन लिया। लेकिन बाद में धनराशि को देश से बाहर भेज दिया। उन्हें यूरोप में गिरफ्तार किया गया और छह साल की कैद हुई।
पटनायक मामला
१९६५ में उड़ीसा के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक को इस्तीफा देने केलिए मजबूर किया गया। उन पर अपनी निजी स्वामित्व कंपनी 'कलिंग ट्यूब्सÓ को एक सरकारी कांट्रेक्ट दिलाने केलिए मदद करने का आरोप था।
मारुति घोटाला (अपुष्ट)
मारुति कंपनी बनने से पहले यहां एक घोटाला हुआ जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम आया। मामले में पेसेंजर कार बनाने का लाइसेंस देने के लिए संजय गांधी की मदद की गई थी।
कुओ ऑयल डील
१९७६ में तेल के गिरते दामों के मददेनजर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने हांग कांग की एक फर्जी कंपनी से ऑयल डील की। इसमें भारत सरकार को १३ करोड़ का चूना लगा। माना गया इस घपले में इंदिरा और संजय गांधी का भी हाथ है।
अंतुले ट्रस्ट
१९८१ में महाराष्ट्र में सीमेंट घोटाला हुआ। तत्कालीन महाराष्ट्र मुख्यमंत्री एआर अंतुले पर आरोप लगा कि वह लोगों के कल्याण के लिए प्रयोग किए जाने वाला सीमेंट, प्राइवेट बिल्डर्स को दे रहे हैं।
एचडीडब्लू दलाली (१९८७)
जर्मनी की पनडुब्बी निर्मित करने वाले कंपनी एचडीडब्लू को काली सूची में डाल दिया गया। मामला था कि उसने २० करोड़ रुपये बैतोर कमिशन दिए हैं। २००५ में केस बंद कर दिया गया। फैसला एचडीडब्लू के पक्ष में रहा।
बोफोर्स घोटाला 
१९८७ में एक स्वीडन की कंपनी बोफोर्स एबी से रिश्वत लेने के मामले में राजीव गांधी समेत कई बेड़ नेता फंसे। मामला था कि भारतीय १५५ मिमी. के फील्ड हॉवीत्जर के बोली में नेताओं ने करीब ६४ करोड़ रुपये का घपला किया है।
सिक्योरिटी स्कैम (हर्षद मेहता कांड)
१९९२ में हर्षद मेहता ने धोखाधाड़ी से बैंको का पैसा स्टॉक मार्केट में निवेश कर दिया, जिससे स्टॉक मार्केट को करीब ५००० करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
इंडियन बैंक
१९९२ में बैंक से छोटे कॉरपोरेट और एक्सपोटर्स ने बैंक से करीब १३००० करोड़ रुपये उधार लिए। ये धनराशि उन्होंने कभी नहीं लौटाई। उस वक्त बैंक के चेयरमैन एम. गोपालाकृष्णन थे।
चारा घोटाला 
१९९६ में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और अन्य नेताओं ने राज्य के पशु पालन विभाग को लेकर धोखाबाजी से लिए गए ९५० करोड़ रुपये कथित रूप से निगल लिए।
तहलका
इस ऑनलाइन न्यूज पॉर्टल ने स्टिंग ऑपरेशन के जारिए ऑर्मी ऑफिसर और राजनेताओं को रिश्वत लेते हुए पकड़ा। यह बात सामने आई कि सरकार द्वारा की गई १५ डिफेंस डील में काफी घपलेबाजी हुई है और इजराइल से की जाने वाली बारक मिसाइल डीलभी इसमें से एक है।
स्टॉक मार्केट
स्टॉक ब्रोकर केतन पारीख ने स्टॉक मार्केट में १,१५,००० करोड़ रुपये का घोटाला किया। दिसंबर, २००२ में इन्हें गिरफ्तार किया गया।
स्टांप पेपर स्कैम
यह करोड़ो रुपये के फर्जी स्टांप पेपर का घोटाला था। इस रैकट को चलाने वाला मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी था।
सत्यम घोटाला
२००८ में देश की चौथी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी सत्यम कंप्यूटर्स के संस्थापक अध्यक्ष रामलिंगा राजू द्वारा ८००० करोड़ रूपये का घोटाले का मामला सामने आया। राजू ने माना कि पिछले सात वर्षों से उसने कंपनी के खातों में हेरा फेरी की।
मनी लांडरिंग
२००९ में मधु कोड़ा को चार हजार करोड़ रुपये की मनी लांडरिंग का दोषी पाया गया। मधु कोड़ा की इस संपत्ति में हॉटल्स, तीन कंपनियां, कलकत्ता में प्रॉपर्टी, थाइलैंड में एक हॉटल और लाइबेरिया ने कोयले की खान शामिल थी।

बोफर्स घोटाला- ६४ करोड़ रु.
मामला दर्ज हुआ - २२ जनवरी, १९९०
सजा - किसी को नहीं
वसूली - शून्य
एच.डी. डब्ल्यू सबमरीन- ३२ करोड़ रु.
मामला दर्ज हुआ - ५ मार्च, १९९०
(सीबीआई ने अब मामला बंद करने की अनुमति मांगी है।)
सजा - किसी को नहीं
वसूली - शून्य
(१९८१ में जर्मनी से ४ सबमरीन खरीदने के ४६५ करोड़ रु. इस मामले में १९८७ तक सिर्फ २ सबमरीन आयीं, रक्षा सौदे से जुड़े लोगों द्वारा लगभग ३२ करोड़ रु. की कमीशनखोरी की बात स्पष्ट हुई।)
स्टाक मार्केट घोटाला- ४१०० करोड़ रु.
मामला दर्ज हुआ - १९९२ से १९९७ के बीच ७२
सजा - हर्षद मेहता (सजा के १ साल बाद मौत) सहित कुल ४ को
वसूली - शून्य
(हर्षद मेहता द्वारा किए गए इस घोटाले में लुटे बैंकों और निवेशकों की भरपाई करने के लिए सरकार ने ६६२५ करोड़ रुपए दिए, जिसका बोझ भी करदाताओं पर पड़ा।)
एयरबस घोटाला- १२० करोड़ रु.
मामला दर्ज हुआ - ३ मार्च, १९९०
सजा - अब तक किसी को नहीं
वसूली - शून्य
(फ्रांस से बोइंग ७५७ की खरीद का सौदा अभी भी अधर में, पैसा वापस नहीं आया)
चारा घोटाला- ९५० करोड़ रुपए
मामला दर्ज हुआ - १९९६ से अब तक कुल ६४
सजा - सिर्फ एक सरकारी कर्मचारी को
वसूली - शून्य
(इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव हालांकि ६ बार जेल जा चुके हैं)
दूरसंचार घोटाला-१२०० करोड़ रुपए
मामला दर्ज हुआ - १९९६
सजा - एक को, वह भी उच्च न्यायालय में अपील के कारण लंबित
वसूली - ५.३६ करोड़ रुपए
(तत्कालीन दूरसंचार मंत्री सुखराम द्वारा किए गए इस घोटाले में छापे के दौरान उनके पास से ५.३६ करोड़ रुपए नगद मिले थे, जो जब्त हैं। पर गाजियाबाद में घर (१.२ करोड़ रु.), आभूषण (लगभग १० करोड़ रुपए) बैंकों में जमा (५ लाख रु.) शिमला और मण्डी में घर सहित सब कुछ वैसा का वैसा ही रहा। सूत्रों के अनुसार सुखराम के पास उनके ज्ञात स्रोतों से ६०० गुना अधिक सम्पत्ति मिली थी।)
यूरिया घोटाला- १३३ करोड़ रुपए
मामला दर्ज हुआ - २६ मई, १९९६
सजा - अब तक किसी को नहीं
वसूली - शून्य
(प्रधानमंत्री नरसिंहराव के करीबी नेशनल फर्टीलाइजर के प्रबंध निदेशक सी.एस.रामाकृष्णन ने यूरिया आयात के लिए पैसे दिए, जो कभी नहीं आया।)
सी.आर.बी- १०३० करोड़ रुपए
मामला दर्ज हुआ - २० मई, १९९७
सजा - किसी को नहीं
वसूली - शून्य
(चैन रूप भंसाली (सीआरबी) ने १ लाख निवेशकों का लगभग १ हजार ३० करोड़ रु. डुबाया और अब वह न्यायालय में अपील कर स्वयं अपनी पुर्नस्थापना के लिए सरकार से ही पैकेज मांग रहा है।)
केपी- ३२०० करोड़ रुपए
मामला दर्ज हुआ - २००१ में ३ मामले
सजा - अब तक नहीं
वसूली - शून्य
(हर्षद मेहता की तरह केतन पारेख ने बैंकों और स्टाक मार्केट के जरिए निवेशकों को चूना लगाया।)




हो सकता है, कि कुछ घोटाले इस बड़ी लिस्ट से छूट गये हों...

धन्यवाद,
अंकित माथुर...

Monday, November 19, 2012

मराठी शेर के वर्चस्व का अंत! बाला साहेब!


बालासाहेब केशव ठाकरे:  जन्म: २३ जनवरी, १९२६, मृत्यु: १७ नवम्बर २०१२

बाला साहेब ने ना तो कभी कोई चुनाव लड़ा, न ही कोई राजनीतिक पद स्वीकार किया, फिर भी महाराष्ट्र की राजनीति में उनका वर्चस्व कायम रहा!  हिन्दू हृदय सम्राट बालासाहेब, महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध नेता थे जिन्होने शिव सेना के नाम से एक प्रखर हिन्दू राष्ट्रवादी दल का गठन किया था। उन्हें लोग प्यार से बालासाहेब भी कहते थे। वे मराठी में सामना नामक अखबार निकालते थे। अखबार में उन्होंने अपनी मृत्यु से कुछ दिन पूर्व अपने सम्पादकीय में लिखा था - "आजकल मेरी हालत चिन्ताजनक है किन्तु मेरे देश की हालत मुझसे भी अधिक चिन्ताजनक है; ऐसे में भला मैं चुप कैसे बैठ सकता हूँ?"

ठाकरे ने अपने जीवन का सफर एक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरू किया था। पहले वे अंग्रेजी अखबारों के लिये कार्टून बनाते थे। बाद में उन्होंने सन १९६० में मार्मिक के नाम से अपना एक स्वतन्त्र साप्ताहिक अखबार निकाला और अपने पिता केशव सीताराम ठाकरे के राजनीतिक दर्शन को महाराष्ट्र में प्रचारित व प्रसारित किया। इस नये साप्ताहिक पत्र के माध्यम से उन्होंने मुंबई में रहने वाले गुजराती, मारवाड़ी और दक्षिण भारतीय लोगों के बीच अपनी मजबूत पैठ बनायी। सन १९६६ में उन्होंने शिव सेना की स्थापना की।
मराठी भाषा में सामना के अतिरिक्त उन्होंने हिन्दी भाषा में दोपहर का सामना नामक अखबार भी निकाला। इस प्रकार महाराष्ट्र में हिन्दी व मराठी में दो-दो प्रमुख अखबारों के संस्थापक बाला साहब ही थे। खरी-खरी बात कहने और विवादास्पद बयानों के कारण वे मृत्यु पर्यन्त अखबार की सुर्खियों में बराबर बने रहे।
१७ नवम्बर २०१२ को मुम्बई में अपने मातुश्री आवास पर दोपहर बाद ३ बजकर ३३ मिनट पर उन्होंने अन्तिम साँस ली।
मराठी मानुष के मुद्दों को प्रखर एवं प्रमुखता से उठाने वाले हिन्दू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे के वर्चस्व का अंत हुआ!

बाला साहेब से जुड़े कुछ विवादास्पद बयानों की एक झलक:

सचिन तेंडुलकर पर निशाना

नवम्बर 2009। सचिन ने कहा कि मुंबई...हर भारतीय की है और मुझे इस बातपर बड़ा गर्व है कि मैं महाराष्ट्रियन हूं, लेकिन मैं पहले एक भारतीय हूं.
उस समय सचिन बाल ठाकरे के निशाने पर आने से नही बच पाये थे,
बाल ठाकरे ने कहा था कि जब आप चौका या छक्का लगाते हैं तो लोग आपकी सराहना करते हैं, लेकिन यदि आप मराठियों पर टीका-टिप्पणी करेंगे तो इससे मराठी मानुष आहत होगा और वो इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकेंगे।
बाल ठाकरे ने सचिन तेंडुलकर को क्रिकेट के बहाने राजनीति न करने की नसीहत दी थी.
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आईपीएल पर प्रतिबंध की मांग

2010 में बाल ठाकरे ने 'क्रिकेट को बचाने' के नाम पर इंडियन प्रीमियर लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
बाल ठाकरे ने अपने बयान में कहा था कि आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने क्रिकेट की 'जेंटलमेंस गेम' वाली छवि खराब की है और आईपीएल पर प्रतिबंल लगाकर ही क्रिकेट को बचाया जा सकेगा.
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सानिया मिर्जा के तंग कपड़े
अप्रैल 2010 में ठाकरे ने टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा पर निशाना साधा था.
मौका सानिया और पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी शोएब मलिक के विवाह के समय का था।ठाकरे ने कहा था कि सानिया यदि भारत के लिए खेलना चाहती हैं तो उन्हें किसी भारतीय को ही अपना जीवनसाथी चुनना होगा और यदि सानिया ने शोएब से ब्याह किया तो भारतीय नहीं रहेंगी, उनका दिल यदि हिंदुस्तानी होता तो किसी पाकिस्तानी के लिए नहीं धड़कता.
बाल ठाकरे ने यहां तक कह दिया था कि सानिया अपने खेल की वजह से नहीं बल्कि अपने तंग कपड़ों, फैशन और प्रेम प्रसंगों की वजह से मशहूर हैं.
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मुंबई में परमिट सिस्टम

भारत के अन्य राज्यों से मुंबई आकर रोज़गार करने वालों के बारे में भी बाल ठाकरे का रवैया काफ़ी सख्त था...
मार्च 2010 में महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायण ने कहा था कि मुंबई में कोई भी रह सकता है.
इस पर बाल ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में लिखा था कि मुंबई तो अब धर्मशाला बन कर रह गई है, बाहर के राज्यों के लोगों को रोकने के लिये परमिट सिस्टम लागू कर दिया जाना चाहिये।
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निशान ए पाकिस्तान
पाकिस्तानी खिलाड़ियों को इंडियन प्रीमियर लीग में शामिल करने की बात चली तो अभिनेता और कोलकाता नाइट राइडर्स के सह मालिक शाहरुख खान ने इस बात का समर्थन किया.
इसी वजह से बाल ठाकरे ने शाहरुख खान को आड़े हाथों ले लिया, बाल ठाकरे ने तब कहा था कि शाहरुख खान को 'निशान-ए-पाकिस्तान' से नवाज़ा जाना चाहिए.
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अंकित माथुर