पता चला कि है कि एन डी टी वी के प्रबन्ध संपादक, दिबांग की छुट्टी की तैय्यारी
लगभग पूरी हो गई है। वो किन कारणों से हुई इसके बारे में तो पता चलना
अभी बाकी है लेकिन समस्त मीडिया जगत में आज इसी मुद्दे
को लेकर गप शप हुई और चाय की चुस्कियां तथा सिगरेट के कश लिये गये।
जानकारों की माने तो काफ़ी समय से उनके व्यवहार को लेकर चर्चायें आम रही हैं।
परन्तु उनके विशालकाय कद के सामने कोई कुछ बोल नही पाया।
आज उनकी छुट्टी की खबर ने कई लोगों को इस विषय पर बात करने का मौका दे दिया है।
कुछ लोगों के हिसाब से वो अक्खड़ मिजाज़ रखते थे, तो कई लोगों से उनके द्वारा
एन डी टी वी में महिला कर्मचारियों से अभद्रता पूर्ण व्यवहार के किस्से भी सुने गये थे।
अब सच्चाई या तो दिबांग जाने या फ़िर राम।
राजदीप सारदेसाई के जाने के बाद उन्हे काफ़ी ज़िम्मेदारी भरा पद दिया गया था,
जिसे उन्होने कुछ हद तक निभाया भी। खैर फ़िल्हाल जो लेटेस्ट खबर है उसके
अनुसार संजय अहिरवाल का प्रमोशन करा जा चुका है और वे अब
एन डी टी वी हिन्दी के एग्ज़ीक्यूटिव ऐडिटर हो गये हैं, वहीं दूसरी ओर मनोरंजन
भारती को राजनैतिक मामलों का संपादक बना दिया गया है।
विनोद दुआ अपनी जगह पर वाह्य सलाहकार की ज़िम्मेदारी बखूबी संभाले हुए हैं।
अब देखना ये है कि दिबांग खुद अपने पद से त्याग पत्र देते हैं
या फ़िर उन्हे बाहर का रास्ता दिखाया जाना अभी बाकी है.....
कुल मिलाकर एन डी टी वी से उनका "वर्चस्व" समाप्त हो चुका है।
लगभग पूरी हो गई है। वो किन कारणों से हुई इसके बारे में तो पता चलना
अभी बाकी है लेकिन समस्त मीडिया जगत में आज इसी मुद्दे
को लेकर गप शप हुई और चाय की चुस्कियां तथा सिगरेट के कश लिये गये।
जानकारों की माने तो काफ़ी समय से उनके व्यवहार को लेकर चर्चायें आम रही हैं।
परन्तु उनके विशालकाय कद के सामने कोई कुछ बोल नही पाया।
आज उनकी छुट्टी की खबर ने कई लोगों को इस विषय पर बात करने का मौका दे दिया है।
कुछ लोगों के हिसाब से वो अक्खड़ मिजाज़ रखते थे, तो कई लोगों से उनके द्वारा
एन डी टी वी में महिला कर्मचारियों से अभद्रता पूर्ण व्यवहार के किस्से भी सुने गये थे।
अब सच्चाई या तो दिबांग जाने या फ़िर राम।
राजदीप सारदेसाई के जाने के बाद उन्हे काफ़ी ज़िम्मेदारी भरा पद दिया गया था,
जिसे उन्होने कुछ हद तक निभाया भी। खैर फ़िल्हाल जो लेटेस्ट खबर है उसके
अनुसार संजय अहिरवाल का प्रमोशन करा जा चुका है और वे अब
एन डी टी वी हिन्दी के एग्ज़ीक्यूटिव ऐडिटर हो गये हैं, वहीं दूसरी ओर मनोरंजन
भारती को राजनैतिक मामलों का संपादक बना दिया गया है।
विनोद दुआ अपनी जगह पर वाह्य सलाहकार की ज़िम्मेदारी बखूबी संभाले हुए हैं।
अब देखना ये है कि दिबांग खुद अपने पद से त्याग पत्र देते हैं
या फ़िर उन्हे बाहर का रास्ता दिखाया जाना अभी बाकी है.....
कुल मिलाकर एन डी टी वी से उनका "वर्चस्व" समाप्त हो चुका है।
Said
सही है अंकित भाई, तुलसी कह गये हैं-कर्म प्रधान विश्व कर राखा, जो जस करे सो तस फल चाखा. नये ब्लोग के लिए बधाई.
Said
सचिन जी प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद!!
आपसे इस प्रयास को सफ़ल बनाने हेतु सहयोग की
अपेक्षा भी रखता हूं।
अंकित माथुर....
Said
सही गुरू... भीतर की ख़बर को इतनी जल्दी बाहर ले आये। लगे रहो... वर्चस्व बनाओ ।